बशीर बद्र की शायरी
"परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता ..
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता..
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना..
जहाँ दरिया समंदर से मिला दरिया नहीं रहता"
-बशीर बद्र
"हज़ारों शेर मेरे.. सो गए कागज़ की कब्रों में..
अजब माँ हूँ कोई बच्चा मेरा ज़िंदा नहीं रहता "
-बशीर बद्र
"तुम्हारा शहर तो बिलकुल नए अंदाज़ वाला है ..
हमारे शहर में भी अब कोई इंसान नहीं रहता "
-बशीर बद्र
"इबादतों की तरह मैं ये काम करता हूँ..
मेरा उसूल है पहले सलाम करता हूँ..
मुखालफ़त से मेरी शख्सियत संवरती है..
मैं दुश्मनों का बड़ा ऐहतराम करता हूँ "
-बशीर बद्र
"मुझे खुदा ने ग़ज़ल का दयार बख्शा है..
ये सल्तनत मैं मोहब्बत के नाम करता हूँ"
-बशीर बद्र
"ये सोच लो अब आखिरी साया है मोहब्बत..
इस दर से उठोगे तो कई दर ना मिलेगा "
-बशीर बद्र
"मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती ना मिला..
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी ना मिला"
-बशीर बद्र
"लोग टूट जाते है एक घर बनाने में..
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में "
-बशीर बद्र
"चाँद सा मिसरा अकेला है मेरे कागज़ पर ..
छत पर आ जाओ मेरा शेर मुकम्मल कर दो "
-बशीर बद्र
"तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा..
यूँ करों जाने से पहले मुझे पागल कर दो "
-बशीर बद्र
"वो शाख है ना फूल अगर तितलियाँ ना हो..
वो घर भी कोई घर है जहां बच्चियां ना हो "
-बशीर बद्र
"मैं तेरे साथ सितारों से गुज़र सकता हूँ..
इतना आसान मोहब्बत का सफर लगता है"
-बशीर बद्र
"ज़िन्दगी तूने मुझे कब्र से कम दी है ज़मीन ..
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है "
-बशीर बद्र
"उसने छु कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया..
मुद्दतों बाद मेरी आँखों में आंसू आये "
-बशीर बद्र